स्वैच्छिक विषय नव संवत
*नव संवत स्वागत :*
*भोर हो रही विभोर ...*
नव संवत् का शुभ प्रभात
में स्वागत है अभिनंदन है।
वासंती नवरात्रि की बेला
में नूतन सृष्टि का वंदन है।।
मनभावन छटाओं के मध्य
प्रकृति सज रही है चहुंओर।
देव दिवाकर की रसवंती किरणों
से भोर हो रही है विभोर।।
बदले मौसम बदलीं ऋतुएं
बदल रही हैं वृक्षों की कोपल।
नई उमंग उल्लास से मन
मयूर नृत्य करता है हर पल।।
नौका पर सवार देवी दुर्गा का
आगमन देता है अद्भुत संदेश।
सुख समृद्धि शुभ फलदायक
संयोग सहित हो रहा है प्रवेश।।
शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा,
कुष्मांडा, स्कंदमां का हो पूजन ।
कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी,
सिद्धिदात्रि का करिए वंदन ।।
गणगौर पर गौरीशंकर के अर्चन
से समृद्धशाली दीर्घायु पाएं ।
मर्यादाओं में रहकर रामनवमी
पर हनुमत जैसी भक्ति पाएं ।।
धर्म की जय विश्व कल्याण के
घोष से गुंजित हों धरती आकाश ।
सत्य अहिंसा प्रेम शांति के
अरुणोदय से फैले चहुंओर प्रकाश।
Renu
23-Mar-2023 08:33 PM
👍👍💐
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अदिति झा
23-Mar-2023 08:10 AM
Nice 👍🏼
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Swati chourasia
23-Mar-2023 05:08 AM
बहुत ही सुंदर रचना 👌👌
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